लेखनी कहानी -18-Dec-2021शीतवकाश
शीतवकाश
शीत अवकाश है आ रहा,
चलो कहीं घूम आए प्रीतम।
कुछ पल स्वयं के लिए जीते
मन में था उल्लास भरा
काम का कोई जोर ना हो
बस थोड़ा आराम वहां हो
शीत अवकाश ह़ैआ रहा
बच्चे भी चाहे सारे
थोड़ी मौज मस्ती हम मारे
खाएं चटपटे से व्यंजन
भूले सारे कामकाज हम
शीतावकाश है आ रहा
महामारी का प्रकोप बढे ना
कोई मुसीबत अब अडे ना
थोड़ा सा सुकून मिल जाए
थोड़ा सा साथ मिल जाए।
शीत अवकाश है आ रहा।।
मधु अरोरा
18.12.2021
Zakirhusain Abbas Chougule
19-Dec-2021 12:11 AM
Nice
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